घुग्घूस : शहर मे आपको हर गल्ली कुचे नुक्कड मे दस बीस के झुंड मे घुमते बेखौफ आवरा कुत्तो की टोलिया नजर आयेगी ये रोज किसी गाई या भैस या फिर बकरी का बछडा या मुर्गी का शिकार करते नजर आ जायेंगे!
शहर मे बुजुर्गो को इन कुत्तो के खौफ से हात मे लाठी लिए घुमते नजर आना बडी आम सी बात हो गई है!
शहर काँग्रेस के संघटन द्वारा या अन्य सामाजिक एवम राजकीय दलो द्वारा नगरपरिषद मुख्याधिकारी निलेश रांजनकर को आवारा कुत्तो पर कारवाई करने के लिए कई बार ज्ञापण दिया गया लेकिन नगरपरिषद ट्स से मस ना हुई
कल रात शहर के चांदणी नगर मोहहले मे करीब रात के नऊ बजे रजा हुसेन इम्रान शेख इस तीन साल के बच्चे पर करीब करीब आठ से दस आवरा कुत्तोने जान लेवा हमला कर जगह जगह बुरी तऱ्हा नोच लिया इस घटना के समय कुछ जागरूक नागरिको के मदत एवम बचाव के कारण मासूम की जान बच गई बच्चे का इलाज डॉ. कोल्हे हॉस्पिटल मे चल रहा है
इस घटना की नैतिक जवाबदारी किसकी नगरपरिषद या प्यार फॉउंडेशन?
शहर मे पहले आवारा कुत्तो को शहर के बाहर या फिर जंगलो मे छोड दिया जाता था जनावरो की हिफाजत मे काम करने वाले संघटनाने इसका विरोध किया जिस वजहसे कुत्तो को शहर के बाहर छोडना बंद हो गया प्यार फॉउंडेशन कहता है के आवारा कुत्तो की नसबंदी कर उन्हे शहर मे रखा जाये!
इस नसबंदी प्रक्रिया मे पैसो का बडा खर्च होने से नगरपरिषद इस नसबंदी प्रक्रिया को पुरा नही कर पा रही है
इन दोनो की जुगलबंदी मे आम लोगो की जान मुसीबत मे आ गई है
क्या शहर मे आवारा कुत्तो का खौफ यु ही चलता रहेगा?
या फिर नगरपरिषद की कुंभकर्ण वाली निंद तुटेगी?
ये अपने आप मे बहोत बडा सवाल बन गया है


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